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बच्चो मे concentration की प्राब्लम है तो घर मे #गायत्री यज्ञ करे आपको मुँह पूर्व की और हो और 21 आहुति दे और साथ मे प्राथना करे ।
electronic सामान से बच्चो को थोड़ा दूर रखे या कम use करे । सोने से पहले एक गिलास पानी का पिये ।
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एक कौड़ी या गोमती चक्र ले ले चाँदी मे बनवा लीजिये और उसे लाल धागे मे पहना दे । बुध यंत्र onax के साथ अपने पास रखे या गले मे पहनाए । (कौड़ी/गोमती चक्र को 11 दिन पूजा स्थान पर गंगाजल मे डाल कर रख कर अपने इष्ट की पूजा करे और फिर पहना दे) । concentration बढ़ जाती है ।
गणेश जी की पूजा करे हरा धागा गले मे पहने ।
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जहाँ पढ़ते हो वहाँ amethyst स्टोन की माला या amethyst का pyramid अपने टेबल पर रखे ।
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सौभाग्य, समृद्धि और लंबी उम्र देने वाली तृतीया

Astro Dr Shaliini Malhotra

माघ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि पूजा-पाठ और दान के लिए बहुत शुभ होती है। गुप्त नवरात्र में आने वाली इस तिथि की खासियत भी धर्म ग्रंथों में बताई गई है। स्कंद और नारद पुराण का कहना है कि हर महीने की तृतीया तिथि पर देवी पार्वती की पूजा और व्रत करने से सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। इसे कई जगह तीज या तीजा भी कहा जाता है। महिलाओं के ज्यादातर व्रत और त्योहार भी इसी तिथि पर होते हैं।

भविष्य पुराण: सौभाग्य, समृद्धि और लंबी उम्र देने वाली तृतीया
भविष्य पुराण का कहना है कि माघ महीने की शुक्ल तृतीया बाकी अन्य महीनों की तृतीया से ज्यादा खास है। क्योंकि माघ मास की तृतीया महिलाओं को विशेष फल देती है | इस तिथि पर सौभाग्य बढ़ाने वाला गौरी तृतीया व्रत किया जाता है।

इस पुराण में ललिता तृतीया व्रत के बारे में भी कहा गया है। जिससे सौभाग्य, धन, सुख, पुत्र, रूप, लक्ष्मी, आरोग्य और लंबी उम्र मिलती है। कहा गया है इस व्रत से स्वर्ग प्राप्ति भी होती है |

तृतीया तिथि कब से कब तक
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 3 फरवरी को सूर्योदय के पहले से ही शुरू हो जाएगी। जो कि पूरे दिन-रात रहेगी। इस दिन शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र भी रहेंगे। इसलिए व्रत, पूजा-पाठ और दान गुरुवार को ही करना चाहिए।

​​​​​​​माघी तृतीया पर क्या कहते हैं पुराण

1. माघ महीने की तृतीया तिथि पर शतभिषा नक्षत्र होने से इस दिन चंदन का दान करने से शारीरिक परेशानियां दूर होंगी। साथ ही इस दिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र भी होने से उड़द के दान से कष्ट दूर होंगे और सुख बढ़ेगा।

2. भविष्य पुराण में भगवती गौरी ने धर्मराज से कहा है कि माघ तृतीया को गुड़ और नमक का दान करने से महापुण्य मिलता है। इस दिन मोदक और जल दान करने का भी विधान बताया गया है।

3. माघ महीने की तृतीया तिथि पर तिल का दान जरूर करना चाहिए। खासतौर से तिल से भरे तांबे के बर्तन दान देना चाहिए। ऐसे करने से कई तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।

4. पद्म पुराण का कहना है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया मन्वंतर तिथि है। इसलिए ये अक्षय फल देने वाली तिथि हो जाती है। यानी इस दिन जो कुछ दान दिया जाता है उसका पुण्य फल कभी खत्म नहीं होता है।

5. धर्मसिंधु ग्रंथ के मुताबिक माघ मास में गर्म कपड़े, जूते, तेल, कपास, रजाई, सोना और अन्न दान का बड़ा पुण्य फल मिलता है।

नक्षत्र के अनुसार स्वभाव

नक्षत्र के अनुसार स्वभाव
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  1. अश्विनी : बौद्धिक प्रगल्भता, संचालन शक्ति, चंचलता व चपलता इस जातक की विशेषता होती है।
  2. भरणी : स्वार्थी वृत्ति, स्वकेंद्रित होना व स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ न होना इस नक्षत्र के जातकों में दिखाई देता है।
  3. कृतिका : अति साहस, आक्रामकता, स्वकेंद्रित, व अहंकारी होना इस नक्षत्र के जातकों का स्वभाव है। इन्हें शस्त्र, अग्नि और वाहन से भय होता है।
  4. रोहिणी : प्रसन्न भाव, कलाप्रियता, मन की स्वच्छता व उच्च अभिरुचि इस नक्षत्र की विशेषता है।
  5. मृगराशि : बु्द्धिवादी व भोगवादी का समन्वय, तीव्र बुद्धि होने पर भी उसका उपयोग सही स्थान पर न होना इस नक्षत्र की विशेषता है।
  6. आर्द्रा : ये जातक गुस्सैल होते हैं। निर्णय लेते समय द्विधा मन:स्थिति होती है, संशयी स्वभाव भी होता है।
  7. पुनर्वसु : आदर्शवादी, सहयोग करने वाले व शांत स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। आध्यात्म में गहरी रुचि होती है।
  8. अश्लेषा : जिद्दी व एक हद तक अविचारी भी होते हैं। सहज विश्वास नहीं करते व ‘आ बैल मुझे मार’ की तर्ज पर स्वयं संकट बुला लेते हैं।
  9. मघा : स्वाभिमानी, स्वावलंबी, उच्च महत्वाकांक्षी व सहज नेतृत्व के गुण इन जातकों का स्वभाव होता है।
  10. पूर्वा फाल्गुनी : श्रद्धालु, कलाप्रिय, रसिक वृत्ति व शौकीन होते हैं।
  11. उत्तरा फाल्गुनी : ये संतुलित स्वभाव वाले होते हैं। व्यवहारशील व अत्यंत परिश्रमी होते हैं।
  12. हस्त : कल्पनाशील, संवेदनशील, सुखी, समाधानी व सन्मार्गी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
  13. चित्रा : लिखने-पढ़ने में रुचि, शौकीन मिजाजी, भिन्न लिंगी व्यक्तियों का आकर्षण इन जातकों में झलकता है।
  14. स्वाति : समतोल प्रकृति, मन पर नियंत्रण, समाधानी वृत्ति व दुख सहने व पचाने की क्षमता इनका स्वभाव है।
  15. विशाखा : स्वार्थी, जिद्दी, हेकड़ीखोर व्यक्ति होते हैं। हर तरह से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं।
  16. अनुराधा : कुटुंबवत्सल, श्रृंगार प्रिय, मधुरवाणी, सन्मार्गी, शौकीन होना इन जातकों का स्वभाव है।
  17. ज्येष्ठा : स्वभाव निर्मल, खुशमिजाज मगर शत्रुता को न भूलने वाले, छिपकर वार करने वाले होते हैं।
  18. मूल : प्रारंभिक जीवन कष्टकर, परिवार से दुखी, राजकारण में यश, कलाप्रेमी-कलाकार होते हैं।
  19. पूर्वाषाढ़ा : शांत, धीमी गति वाले, समाधानी व ऐश्वर्य प्रिय व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
  20. उत्तराषाढ़ा : विनयशील, बुद्धिमान, आध्यात्म में रूचि वाले होते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं।
  21. श्रवण : सन्मार्गी, श्रद्धालु, परोपकारी, कतृत्ववान होना इन जातकों का स्वभाव है।
  22. धनिष्ठा : गुस्सैल, कटुभाषी व असंयमी होते हैं। हर वक्त अहंकार आड़े आता है।
  23. शततारका : रसिक मिजाज, व्यसनाधीनता व कामवासना की ओर अधिक झुकाव होता है। समयानुसार आचरण नहीं करते।
  24. पुष्य : सन्मर्गी, दानप्रिय, बुद्धिमान व दानी होते हैं। समाज में पहचान बनाते हैं।
  25. पूर्व भाद्रपदा : बुद्धिमान, जोड़-तोड़ में निपुण, संशोधक वृत्ति, समय के साथ चलने में कुशल होते हैं।
  26. उत्तरा भाद्रपदा : मोहक चेहरा, बातचीत में कुशल, चंचल व दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।
  27. रेवती : सत्यवादी, निरपेक्ष, विवेकवान होते हैं। सतत जन कल्याण करने का ध्यास इनमें होता है।

किस माह में होती है किस देव या देवी की पूजा, जानिए

किस माह में होती है किस देव या देवी की पूजा, जानिए
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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास में अलग-अलग देवों की उपासना का प्रचलन इसलिए है क्योंकि उक्त माह में प्रकोत्सव या कुछ विशेष होता है। आओ जानते हैं कि किस माह मैं किस देव की पूजा होती है।

🚩हिन्दू माह ने नाम :- 1. चैत्र, 2. बैशाख, 3. ज्येष्ठ, 4. आषाढ़, 5. श्रावण, 6. भाद्रपद, 7. आश्विन, 8. कार्तिक, 9. मार्गशीर्ष, 10. पौष, 11. माघ, 12. फाल्गुन।

🚩1. चैत्र :- चैत्र माह में सूर्यदेव, भगवान राम और हनुमानजी की पूजा के साथ ही माता दुर्गा की पूजा की जाती है। इसी माह में नवरात्रि का व्रत रखा जाता है।

🚩2. बैशाख :- वैशाख माह में भगवान परशुराम, मां गंगा, चित्रगुप्त, भगवान नृसिंह, भगवान कूर्म की पूजा की जाती है। वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को श्री सीताजी ने जन्म लिया था।

🚩3. ज्येष्ठ :- मां गंगा, भगवान शनिदेव, गायत्री माता और मां धूमावती की पूजा अर्चन की जाती है।

🚩4. आषाढ़ :- श्रीहरि विष्णु के साथ ही आषाढ़ में वामन पूजा होती है। इस माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूाज की जाती है।

🚩5. श्रावण :- श्रावण में भगवान शिव की पूजा का महत्व है। यह शिव का माह है।

🚩6. भाद्रपद :- भाद्रपद में गणेशजी और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इसी माह में गणेश उत्सव मनाया जाता है और कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था इसीलिए जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसी माह में श्रीराधा की पूजा भी होती है क्योंकि इसी माह में उन्होंने भी जन्म लिया था।

🚩7. आश्विन :- यह माह देवी और शक्ति की उपासना का माह होता है। इस माह में शारदीय नवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इसी माह में श्राद्ध पक्ष रहता है तो पितृदेव की पूजा भी होती है। वैसे भाद्रपद की पूर्णिमा से ही श्राद्धपक्ष प्रारंभ हो जाता है।

🚩8. कार्तिक :- कार्तिक माह देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित माह है। इस माह में महालक्ष्मी पूजा और भगवान विष्णु के जागने का समय होता है। इसी माह में दीपवाली के दिन मात लक्ष्मी की पूजा होती है। कुछ राज्यों में माता कालिका की पूजा होती है। इस माह में धनवंतरि देव, कुबेर, यमदेव, चित्रगुप्त, श्रीकृष्ण आदि की पूजा भी की जाती है।

🚩9. मार्गशीर्ष :- इस माह में गीता जयंती रहती है। श्रीकृष्ण, भगवान दत्तात्रेय, सत्यनारायण भगवान की पूजा, पितृदेव की पूजा, भैरव पूजा आदि की जाती है।

🚩10. पौष :- पौष मास में भगवान विष्णु और सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है।

🚩11. माघ :- माघ माह में सूर्यदेव के साथ ही भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा होती है। इस माह में भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस माह में गुप्त नवरात्रि होती है तो माता दुर्गा के 10 महारुपों अर्थात दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

🚩12. फाल्गुन :- इस माह में प्रहलाद और नृसिंह भगवान की पूजा के साथ ही शिवजी और कामदेव की पूजा भी की जाती है। इसी माह में महाशिवरात्री भी रहती है। इसी माह में श्रीराधा और कृष्ण की पूजा भी होती है। इसी माह में माता सीता की पूजा भी होती है क्योंकि एक अन्य मान्यता अनुसार उनका जन्म हुआ था।

हरिऊँ
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बुरे दिन से बचने के 9 चमत्कारिक टोटके*

*बुरे दिन से बचने के 9 चमत्कारिक टोटके*
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*यदि आप पर ग्रह-नक्षत्रों की बुरी दशा चल रही है या आप संकटों से घिरे हैं। यह भी हो सकता है कि पिछले कई माह से आप समस्याओं से घिरे हुए हैं। एक के बाद एक संकट आते ही रहते हैं और धन संपत्ति आदि सभी संकट में है तो यहां बताए गए अचूक टोटके आजमाएं।*

*🔆पहला चमत्कारिक टोटका…..*

*🚩हनुमान चालीसा पढ़ना :–* सबसे पहले आप हनुमान चालीसा नियम से पढ़ना शुरू कर दें। प्रतिदिन संध्यावंदन के साथ हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। संध्यावंदन घर में या मंदिर में सुबह-शाम की जाती है। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है, जो हमें हर तरह की जानी-अनजानी होनी-अनहोनी से बचाती है। हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद हनुमानजी की कपूर से आरती करें।

*🚩हनुमानजी को चढ़ाएं चोला :–* 5 बार हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो तुरंत ही संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा प्रति मंगलवार या शनिवार को बढ़ के पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे हनुमानजी के मंदिर में रख आएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार या शनिवार को करें।

*🔆दूसरा चमत्कारिक टोटका…*

*🚩नारियल का उतारा :–* पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें।

उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह ऊपाय उत्तम है।

*🔆तीसरा चमत्कारिक टोटका…*

*🚩गाय, कुत्ते, ‍चींटी और पक्षियों को भोजन खिलाएं :–* वृक्ष, चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, अशक्त मानव आदि प्राणियों के अन्न-जल की व्यवस्था करने से इनकी हर तरह से दुआ मिलती है। इसे वेदों के पंचयज्ञ में से एक ‘वैश्वदेव यज्ञ कर्म’ कहा गया है। यह सबसे बड़ा पुण्य माना गया है।

*🚩मछलियों को खिलाएं :–* कागजों पर छोटे अक्षरों में राम-राम लिखें। अधिक से अधिक संख्या में ये नाम लिखकर सबको अलग-अलग काट लें। अब आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर एक-एक कागज उनमें लपेट लें और नदी या तालाब पर जाकर मछलियों और कछुओं को ये गोलियां खिलाएं। कछुओं और मछलियों को नित्य आटे की गोलियां खिलाएं और चीटियों को भुने हुए आटे में बूरा मिलाकर बनाई पंजीरी खिलाएं।

* प्रतिदिन कौवे या पक्षियों को दाना डालने से पितृ तृप्त होते हैं।

* प्रतिदिन चींटियों को दाना डालने से कर्ज और संकट से मुक्ति मिलती है।

* प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाने से आकस्मिक संकट दूर रहते हैं।

* प्रतिदिन गाय को रोटी खिलाने से आर्थिक संकट दूर होता है।

*🔆चौथा चमत्कारिक टोटका…*

*🚩जल अर्पण :–* एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। उस पात्र को अपने सिरहाने रखकर रात को सो जाएं। प्रात: उठकर सबसे पहले उस जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें। ऐसा कुछ दिनों तक करें। धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी।

*🔆पांचवां चमत्कारिक टोटका…*

*🚩छाया दान करें :–* शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं।

यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।

*🔆छठा चमत्कारिक टोटका…*

*🚩जप से मिलेगी संकटों से मुक्ति :–* सभी तरह के बुरे काम छोड़कर प्रतिदिन राम के नाम, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू कर दें। ध्यान रहे इसमें से किसी एक मंत्र का जाप ही करें। यह जप आप सुबह या शाम को मंदिर में जाकर अच्छे से बैठकर ही करें।

कम से कम 43 दिनों तक लगातार इसका जाप सुबह और शाम नियम से करें। इस जाप का असर जब शुरू होगा तो संकट भी धीरे धीरे दूर होने लगेगा। उक्त जाप के दौरान झूठ न बोलें, तामसिक भोजन न करें और किसी भी प्रकार का नशा न करें अन्यथा इसके बुरे परिणाम भी हो सकते हैं। राम का नाम तो आप दिनभर जप सकते हैं। कलियुग में राम के नाम से बड़ा कोई उपाय नहीं।

*🔆सातवां चमत्कारिक टोटका….*

*🚩गुड़ और घी की धोग :–* हिंदू धर्म में धूप देने और दीप जलाने का बहुत ज्यादा महत्व है। सामान्य तौर पर धूप दो तरह से ही दी जाती है। पहला गुग्गुल-कर्पूर से और दूसरा गुड़-घी मिलाकर जलते कंडे पर उसे रखा जाता है। यहां गुड़-घी व चावल से दी गई धूप का खास महत्व है।

गुड़ और घी की धूप प्रति ग्यारस, तेरस, चौदस, अमावस्य और पूर्णिमा के अलावा ग्रहण पर दें। यह गुड़ और घी की धूप देवताओं के निमित्त दें। किसी पूर्वज या अन्य के निमित्त न दें।

*🔆आठवां चमत्कारिक टोटका….*


*🚩श्मशान में सिक्के डाल आएं:–* यदि किसी की अर्थी में जाना हो जो लौटते वक्त श्मशान में कुछ सिक्के फेंकते हुए आ जाएं। पीछे पलटकर न देखें। इस उपाय से अचानक आई बाधा तुरंत ही समाप्त हो जाएगी और देवीय सहयोग मिलने लगेगा।

*🔆नौवां चमत्कारिक टोटका….*

*🚩घर में रखें मछलीघर :–* इसके लिए आप अपने घर में एक अलंकारिक फव्वारा रखें या एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछली हो रखें। इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें। यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछली लाकर उसमें डाल दें।
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*हरि ऊँ*
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जानिए किस कामना के लिए क्या प्रदार्थ एवं कौनसा फूल शिव को चढ़ाएं –

जानिए किस कामना के लिए क्या प्रदार्थ एवं कौनसा फूल शिव को चढ़ाएं –
👉 वाहन सुख के लिए चमेली का फूल।
👉 दौलतमंद बनने के लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी या बिल्वपत्र।
👉 विवाह में समस्या दूर करने के लिए बेला के फूल। इससे योग्य वर-वधू मिलते हैं।
👉 पुत्र प्राप्ति के लिए धतुरे का लाल फूल वाला धतूरा शिव को चढ़ाएं। यह न मिलने पर सामान्य धतूरा ही चढ़ाएं।
👉 मानसिक तनाव दूर करने के लिए शिव को शेफालिका के फूल चढ़ाएं।
👉 जूही के फूल को अर्पित करने से अपार अन्न-धन की कमी नहीं होती।
👉 अगस्त्य के फूल से शिव पूजा करने पर पद, सम्मान मिलता है।
👉 शिव पूजा में कनेर के फूलों के अर्पण से वस्त्र-आभूषण की इच्छा पूरी होती है।
👉 लंबी आयु के लिए दुर्वाओं से शिव पूजन करें।
👉सुख-शांति और मोक्ष के लिए महादेव की तुलसी के पत्तों या सफेद कमल के फूलों से पूजा करें।
इसी तरह भगवान शिव की प्रसन्नता से मनोरथ पूरे करने के लिए शिव पूजा में कई तरह के अनाज चढ़ाने का महत्व बताया गया है। इसलिए श्रद्धा और आस्था के साथ इस उपाय को भी करना न चूकें। जानिए किस अन्न के चढ़ावे से कैसी कामना पूरी होती है –
👉 शिव पूजा में गेहूं से बने व्यंजन चढ़ाने पर कुंटुब की वृद्धि होती है।
👉 मूंग से शिव पूजा करने पर हर सुख और ऐश्वर्य मिलता है।
👉 चने की दाल अर्पित करने पर श्रेष्ठ जीवन साथी मिलता है।
👉 कच्चे चावल अर्पित करने पर कलह से मुक्ति और शांति मिलती है।
👉तिलों से शिवजी पूजा और हवन में एक लाख आहुतियां करने से हर पाप का अंत हो जाता है।
👉 उड़द चढ़ाने से ग्रहदोष और खासतौर पर शनि पीड़ा शांति होती है।
इसी तरह भगवान शिव की प्रसन्नता से मनोरथ पूरे करने के लिए शिव पूजा में कई तरह के अनाज चढ़ाने का महत्व बताया गया है। इसलिए श्रद्धा और आस्था के साथ इस उपाय को भी करना न चूकें। जानिए किस अन्न के चढ़ावे से कैसी कामना पूरी होती है –
👉 शिव पूजा में गेहूं से बने व्यंजन चढ़ाने पर कुंटुब की वृद्धि होती है।
👉 मूंग से शिव पूजा करने पर हर सुख और ऐश्वर्य मिलता है।
👉 चने की दाल अर्पित करने पर श्रेष्ठ जीवन साथी मिलता है।
👉 कच्चे चावल अर्पित करने पर कलह से मुक्ति और शांति मिलती है।
👉 तिलों से शिवजी पूजा और हवन में एक लाख आहुतियां करने से हर पाप का अंत हो जाता है।
👉 उड़द चढ़ाने से ग्रहदोष और खासतौर पर शनि पीड़ा शांति होती है।
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चंद्रमा और ज्योतिष

चंद्रमा और ज्योतिष
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ज्योतिष मे चंद्र को माँ का कारक कहा गया है ।चन्द्रमा के अधिदेवता भी शिव हैं ।चन्द्रमा मां का सूचक है और मन का कारक है. इसकी राशि कर्क है. कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है. स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है. घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएं आदि सूख जाते हैं. इसके प्रभाव से मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह तरह की शंका और सर्दी बनी रहती है. व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं.
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जितने भी दूध वाले वृक्ष हैं सभी चन्द्र के कारण उत्पन्न हैं। चन्द्रमा बीज, औषधि, जल, मोती, दूध, अश्व और मन पर राज करता है। लोगों की बेचैनी और शांति का कारण भी चन्द्रमा है।

चन्द्रमा माता का सूचक और मन का कारक है। कुंडली में चन्द्र के अशुभ होने पर मन और माता पर प्रभाव पड़ता है।

कैसे होता चन्द्र खराब? :

  • घर का वायव्य कोण दूषित होने पर भी चन्द्र खराब हो जाता है।
  • घर में जल का स्थान-दिशा यदि दूषित है तो भी चन्द्र खरब फल देता है।
  • पूर्वजों का अपमान करने और श्राद्ध कर्म नहीं करने से भी चन्द्र दूषित हो जाता है।
  • माता का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।
  • शरीर में जल यदि दूषित हो गया है तो भी चन्द्र का अशुभ प्रभाव पड़ने लगता है।
  • गृह कलह करने और पारिवारिक सदस्य को धोखा देने से भी चन्द्र अशुभ फल देता है।
  • राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र खराब फल देने लगता है।

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👉👉चन्द्र ग्रहों में सबसे छोटा ग्रह है। परन्तु इसकी गति ग्रहों में सबसे अधिक है। शनि एक राशि को पार करने के लिए ढ़ाई वर्ष लेता है, बृहस्पति लगभग एक वर्ष, राहू लगभग 14 महीने और चन्द्रमा सवा दो दिन – कितना अंतर है। चन्द्रमा की तीव्र गति और इसके प्रभावशाली होने के कारण किस समय क्या घटना होगी, चन्द्र से ही पता चलता है। विंशोत्तरी दशा, योगिनी दशा, अष्टोतरी दशा आदि यह सभी दशाएं चन्द्र की गति से ही बनती है। चन्द्र जिस नक्षत्र के स्वामी से ही दशा का आरम्भ होता है।

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👉👉अगर मन अच्छा है, मनोबल ऊँचा है तब व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास भी बढ़ता है और वह विपरीत परिस्थितियो में भी डटा रहता है लेकिन यदि किसी व्यक्ति का मन कमजोर है या वह बहुत जल्दी परेशान हो जाता है इसका अर्थ है कि कुण्डली में उसका चंद्रमा कमजोर अवस्था में है ||

👉👉ज्योतिष के अनुसार भक्ति योग करने से चंद्रमा की ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होती है। इसके अलावा भ्रामरी प्राणायाम, नियमित वज्रासन और नौकायान आसन करना भी लाभप्रद होता है।

👉👉अनिष्ट चन्द्रमा की शांति के लिए पूर्णिमा व्रत सहित चन्द्र मन्त्र का विधिवत अनुष्ठान करना चाहिए।

👉👉चारपाई के चारों पायों में चांदी की कील गाड़ना चाहिए।

👉👉चंद्रमा की पीड़ा शांति के निमित्त नियमित (अथवा कम से कम सोमवार को) चंद्रमा के मंत्र का 1100 बार जाप करना अभिष्ट होता है.

जाप मंत्र इस प्रकार है-

ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:.

👉👉चंद्र नमस्कार के लिए निम्लिखित मंत्र का प्रयोग करें-

दधि शंख तुषारामं क्षीरोदार्णव सम्भवम्.
नमामि शशिनं भक्तया शम्भोर्मकुट भूषणम्..

👉👉शिव का महामृत्युंजय मंत्र तो चंद्र पीड़ा के साथ-साथ सभी ग्रह पीड़ाओं का निवारण कर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य देता है. वह इस प्रकार है-

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्ष्रिय मामृतात्.

👉👉चिकने, सुडौल और चमकीले मोती को चांदी की अंगूठी में जड़वाकर आप सोमवार के दिन अपनी कनिष्ठिका अंगुली में धारण करें। इससे आपके कुंडली में चंद्रमा की स्थिति में सुधार आएगा।
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*अपना घर या सम्पति*

*अपन घर या सम्पति*

किसी व्यक्ति की संपत्ति का विश्लेषण करने के लिए कुंडली के चतुर्थ भाव का अध्ययन किया जाता है। चतुर्थ भाव अचल और चल संपत्तियों का मुख्य भाव है। इसी भाव से संपत्ति की खरीद और बिक्री दोनों को देखा जा सकता है। पाराशर होरा शास्त्र को वैदिक ज्योतिष की भागवत गीता माना जाता है इस शास्त्र में ऐसे कई योग है जो घर खरीदने के विषय में बताते है। चौथा भाव संपत्ति, मन की शांति, माँ, गृह जीवन, स्व-संप्रेषण, पैतृक गुण, सामान्य खुशी और कुछ अन्य विषयों का भाव है। इसके साथ ही यह मुख्य रुप से संपत्ति का भाव भी है।

• यदि चतुर्थ भाव का स्वामी लग्न स्वामी के साथ हो और आय भाव हो तो व्यक्ति के पास कई घर हो सकते हैं।

• यदि पराक्रम भाव में बुध स्थित हो और चतुर्थ भाव का स्वामी भी सुस्थिर हो तो व्यक्ति सुंदर घर का निर्माण कराता है।

• यदि चतुर्थ भाव का स्वामी स्व-नवांश में हो या उच्च राशि का हो तो जातक को भूमि, वाहन, गृह आदि का स्वामित्व प्राप्त होता है।

• जो ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हों उन ग्रहों के पास भी संपत्ति देने की शक्ति होती है।

• यदि चतुर्थ भाव का स्वामी मित्रराशि में स्थित हो, नवांश या लग्न दोनों कुंड्लियों में हो तो घर के योगों में यह शुभ योग है।

• त्रिकोण भाव में नवमेश का होना और चतुर्थेश का अपने मित्र की राशि में होना एक अच्छा घर दे सकता है।

• यदि चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल या शनि या शुक्र से युक्त हो तो भी जातक को अपना घर प्राप्त हो सकता है।

• घर खरीदने के लिए मंगल, शुक्र, बृहस्पति की दशा अवधि अनुकूल होती है।

गृह, भूमि, संपत्ति के लिए निम्न ग्रहों को देखा जाता हैं-

• मंगल – अचल संपत्ति का कारक ग्रह मंगल है। इसका शुभ प्रभाव चतुर्थ भाव चतुर्थेश पर होना एक अच्छे घर का संकेत देता है।

• शनि – शनि ग्रह है जो भूमि, पुराने घर यानी पुनर्खरीद वाला घर देता है। इसके अलावा शनि गोचर में जब चतुर्थ भाव को सक्रिय करता है तब घर के निर्माण कार्य पूर्ण होते है।

• शुक्र – शुक्र का बली अवस्था में चतुर्थ / चतुर्थेश को प्रभावित करना एक भव्य घर होने का सूचक है।

1, 2, 4, 11 घर ऐसे भाव हैं जो जमीन या संपत्ति होने का संकेत देते हैं।

• लग्न भाव, वह भाव है जो व्यक्ति के स्वयं की योग्यता और शारीरिक क्षमता दर्शाता है। शारीरिक रुप से स्वस्थ होने के बाद ही कोई व्यक्ति अपना घर या अपने जीवन की योजनाओं को पूरा कर सकता है।

• दूसरा भाव – यह व्यक्ति के बैंक बैलेंस का भाव है। अगर किसी के पास धन नहीं होगा तो आप घर नहीं खरीद पाएंगे।

• चौथा घर – चौथा भाव संपत्ति, खुशी और वाहनों का भाव होता है। इस प्रकार इस भाव की स्थिति को देश या विदेश, किस स्थान पर संपत्ति होगी यह जानने के लिए देखा जाता है।

• ग्यारहवां घर – यह लाभ और इच्छाओं की पूर्ति का मुख्य भाव है। यह वह भाव है जो यह तय करता है कि आपको खुद के घर की खुशी होगी या नहीं। अपना घर कब प्राप्त होगा इसके लिए महादशा का विचार किया जाता है। किसी व्यक्ति के पास मूलसंपत्ति होगी या नहीं यह महादशा तय करती है।

• चतुर्थेश, द्वितीयेश, एकादशेश और नवमेश्फ़ की दशाएं व्यक्ति को घर देने में सक्षम होती है।

• अपना घर किस आयु में मिलेगा इसके लिए निम्न रुप से ग्रहों का अध्ययन किया जाता हैं। जब कोई ग्रह बली, उच्चस्थ, मूलत्रिकोण और मजबूत स्थिति में होकर चतुर्थेश, चतुर्थ भाव, आयेश, नवमेश और द्वितीयेश को प्रभावित करें तो ऐसा ग्रह घर देने की योग्यता रखता है। जैसे-

• कम आयु में घर प्रदान करने का कार्य चंद्र ग्रह करता है।

• मध्यम आयु में घर प्रदान करने के लिए सूर्य और मंगल का अध्ययन किया जाता है।

• सूर्य उत्तरायन में और चंद्र जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में घर देता है।

• बुध 32 से 36 की आयु में घर दे सकता है।

• बृहस्पति, शुक्र और राहु कम उम्र में संपत्ति दे सकते हैं।

• शनि संपत्ति 44 की आयु के बाद और केतु 52 साल बाद भी दे सकता है।

अन्य योग

• घर हेतु भूमि क्रय करने के लिए, कुंडली का चौथा भाव मजबूत होना चाहिए।

• जमीन या संपत्ति प्राप्त करने के लिए मंगल और चौथा भाव महत्वपूर्ण कारक माना गया है। इसलिए, किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत और शुभ होनी चाहिए।

• जब मंगल कुंडली में चौथे भाव के साथ संबंध बनाता है तो व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी जमीन या संपत्ति खरीदने की स्थिति में आता है।

मंगल को मजबूत करने के लिए सबसे पहले आपको अपने घर में मंगल यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। तांबे या अष्टधातु से बने मंगल यंत्र को मंगलवार के दिन विधिवत पूजन कर लाल वस्त्र पर या लाल चंदन की चौकी पर स्थापित करें। नित्य इसका दर्शन पूजन करें और इस पर लाल चंदन की नौ बिंदियां लगाएं।
नित्य प्रतिदिन स्वयं भी लाल चंदन या केसर का तिलक अपने मस्तक पर लगाएं। नाभि पर केसर की बिंदी नित्य लगाएं।
लाल मूंगे से बने गणेशजी की मूर्ति घर में स्थापित करें या मूंगे के गणेशजी का पेंडेंट गले में धारण करें।
मंगल स्तोत्र का नित्य पाठ करने से मंगल शुभ होगा और भूमि भवन के कार्य शीघ्र होंगे।
प्रत्येक मंगलवार के दिन भगवान शिव का अभिषेक केसरयुक्त दूध से करें। लाल चंदन का त्रिपुंड लगाएं।
चीटियों को गुड़ से बनी रोटी प्रत्येक मंगलवार को खिलाएं।

बुद्धवार व्रत विधि

बुद्धवार व्रत विधि ग्रह शांति तथा सर्व-सुखों की इच्छा रखने वालों को बुद्धवार का व्रत करना चाहिये. इस व्रत में दिन-रात में एक ही बार भोजन करना चाहिए. इस व्रत के समय हरी वस्तुओं का उपयोग करना श्रेष्ठतम है. इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा, धूप, बेल-पत्र आदि से करनी चाहिए . साथ ही बुद्धवार की कथा सुनकर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिये. इस व्रत का प्रारंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम बुद्धवार से करें. 21 व्रत रखें. बुद्धवार के व्रत से बुध ग्रह की शांति तथा धन, विद्या और व्यापार में वृद्धि होती है. बुद्धवार व्रत कथा –

Budhwar Vrat Katha एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिये अपनी ससुराल गया. वहां पर कुछ दिन रहने के पश्चात् सास-ससुर से विदा करने के लिये कहा. किन्तु सबने कहा कि आज बुद्धवार का दिन है आज के दिन गमन नहीं करते हैं. वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना और हठधर्मी करके बुद्धवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा. राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है. तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया. जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में वह व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है. उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है. दूसरा व्यक्ति बोला कि यह मेरी पत्नी है. इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं. वे दोनों व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे. तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है. तब पत्नी शांत ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे. वह किसे अपना असली पति कहे. वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला – हे परमेश्वर, यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है. तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुद्धवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था. तूने किसी की बात नहीं मानी. यह सब लीला बुद्धदेव भगवान की है. उस व्यक्ति ने तब बुद्धदेव जी से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिये क्षमा मांगी. तब बुद्धदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए. वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुद्धवार का व्रत वे दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक करने लगे. जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुद्धवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है, उसको सर्व प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है.

बुद्धवार व्रत की आरती

आरती युगलकिशोर की कीजै. तन मन धन न्यौछावर कीजै.. गौरश्याम मुख निरखत रीजै. हरि का स्वरुप नयन भरि पीजै.. रवि शशि कोट बदन की शोभा. ताहि निरखि मेरो मन लोभा.. ओढ़े नील पीत पट सारी. कुंजबिहारी गिरवरधारी.. फूलन की सेज फूलन की माला. रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला.. कंचनथार कपूर की बाती. हरि आए निर्मल भई छाती.. श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी. आरती करें सकल ब्रज नारी.. नन्दनन्दन बृजभान, किशोरी. परमानन्द स्वामी अविचल जोरी ..

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शुक्र को मज़बूत कर के पाए सभी तरह के सुख

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#शुक्र को मज़बूत कर के पाए सभी तरह के सुख

शुक्र को ठीक करके जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। शुक्र खराब होने पर व्यक्ति भौतिक सुखों से वंचित रहता है। कई बार घर में समस्त भौतिक सुख-संसाधन होते हुए भी व्यक्ति उनका उपभोग नहीं कर पाता और उनसे लगातार हानि उठाता रहता है।

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चांदी या प्लैटिनम का छल्ला पहनना #शुक्र ग्रह को शांत रखता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को भी आपसे दूर रखता है। इस प्रका आपको ना सिर्फ खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन मिलता है बल्कि आपकी खूबसूरती में भी निखार आता है। त्वचा संबंधी परेशानियां अपने आप दूर हो जाती हैं। इसके लिए अंगूठे में चांदी का छल्ला पहनें।

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शुक्र के इस उपाय में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है।

“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा”

शुक्र ग्रह की प्रतिनिधि देवी महालक्ष्मी है। शुक्र खराब है तो स्वाभाविक रूप से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती। लक्ष्मी ऐसे लोगों से रूठी रहती है। लक्ष्मी यानी सौंदर्य, प्रेम और भौतिक सुख। इसलिए लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय करने से शुक्र ग्रह की पीड़ा भी खत्म होती है। इसके लिए प्रत्येक शुक्रवार को चावल की खीर बनाएं और उसमें शकर की जगह पर मिश्री का उपयोग करें। यह खीर 7 कन्याओं को खिलाएं और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा प्रदान करें। यह प्रयोग 7, 11 या 21 शुक्रवार करें। आपके घर में लक्ष्मी का आगमन सुलभ हो जाएगा।

प्रति शुक्रवार गाय के दूध का एक चम्मच स्नान के जल मे मिलाकर नहाना भी एक अच्छा उपाय है।

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