उतारा कैसे करें

उतारा कैसे करें★■◆●★■◆●#उपाय#remediesकिस दिन किस मिठाई से उतारा करना चाहिए,– 💐रविवार को बर्फी से उतारा करना चाहिए। 💐सोमवार को बर्फी से उतारा कर लड्डू कुत्ते को खिला दें। 💐मंगलवार को बूंदी से उतारा कर कुत्ते को खिला दें। 💐बुधवार को इमरती से उतारा करें व उसे कुत्ते को खिला दें।💐 गुरूवार को सायं काल एक …

ग्रह और दस महाविद्या पूजा

ग्रह और दस महाविद्या पूजा शास्त्रों अनुसार माता सती की दस स्वरूपों को दस महाविद्या कहा गया हैं।  दस महाविद्या में सेकिसी एक की नित्य पूजा अर्चना करने से लंबे समय से चली आ रही बिमारियाँ , कलह , क्लेश , बेरोजगारी समस्या , शनि की साढे साती , ढैया , प्रेत बाधा , बुरी …

10 mahavidya

Worshipping Goddess Matangi is beneficial to strengthen weak sun, afflicted sun or sun-Rahu, sun- ketu, sun-saturn combination in the birth chart.For mental peace, happiness, concentration, sound sleep and to improve weak moon (moon conjunct with or aspected by malefic like sun, mars, saturn, rahu,  ketu) one should worship Goddess Bhuvaneshwari.By worshipping Goddess Kali one can …

अधिकमास में न करें ये गलतियां

अधिकमास में न करें ये गलतियां शादी-विवाह– अधिक मास में शादी-विवाह वर्जित होते हैं. इस समय अगर विवाह किया जाए तो न तो भावनात्मक सुख मिलेगा और न ही शारीरिक सुख. पति-पत्नी के बीच अनबन रहेगी और घर में सुख-शांत का वास नहीं करेगी. नई दुकान या काम– अधिकमास में नया व्यवसाय या नया कार्य …

सर्वसिद्धप्रद गणेश मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मरूपाय चारवे ।सर्वसिद्धिप्रदेशाय विश्वेशाय नमो नमः ।। इस मन्त्र में बत्तीस अक्षर हैं। यह सम्पूर्ण कामनाओं का दाता, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का फल देने वाला और सर्वसिद्धप्रद है। इसके पाँच लाख जप से ही जापक को मन्त्रसिद्धि प्राप्त हो जाती है। भारतवर्ष में जिसे मन्त्रसिद्धि हो जाती है, वह …

रूद्राक्ष द्वारा चक्र पर प्रभाव –

रूद्राक्ष द्वारा चक्र पर प्रभाव – रत्न किस प्रकार से प्रभाव करते हैं शरीर पर – कोई भी ग्रह हमसे इतना दूर है फिर भी उनके घूमने से या ग्रहों के करण जीवन पर प्रभाव पड़ता है इसका मुख्य कारण क्या है ? और यह प्रभाव सबके शरीर पर कैसे पड़ता है लेकिन कुछ ऋषि …

श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् ।

जयोऽस्तु ते गणपते देहि मे विपुलां मतिम् ।स्तवनम् ते सदा कर्तुं स्फूर्ति यच्छममानिशम् ॥ १॥ प्रभुं मंगलमूर्तिं त्वां चन्द्रेन्द्रावपि ध्यायतः ।यजतस्त्वां विष्णुशिवौ ध्यायतश्चाव्ययं सदा ॥ २॥ विनायकं च प्राहुस्त्वां गजास्यं शुभदायकम् ।त्वन्नाम्ना विलयं यान्ति दोषाः कलिमलान्तक ॥ ३॥ त्वत्पदाब्जाङ्कितश्चाहं नमामि चरणौ तव ।देवेशस्त्वं चैकदन्तो मद्विज्ञप्तिं शृणु प्रभो ॥ ४॥ कुरु त्वं मयि वात्सल्यं रक्ष मां …